अमित दीक्षित 'रामजी' एक बहुमुखी प्रतिभासम्न्न कला साघक हैं, जिन्होंने रंगमंच व मीडिया के क्षेत्र में फिल्म, लघु फ़िल्म, डाक्यूमेन्टरी, दूरदर्शन व आकाशवाणी सहित सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों के साथ विगत 25 वर्षों से अधिक समय में 800 से अधिक प्रस्तृतियाँ अपनी विभिन्न प्रदर्शनकारी कलाओं यथा लेखन, निर्देशन, अभिनय, गायन, संगीत निर्देशन व नृत्यकला के माध्यम से भारतवर्ष के लगभग प्रत्येक प्रदेश व शहर में स्वयं व अपने समूह के साथ प्रस्तुत की है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की लोकनाट्य शैली नौटंकी' को जीवन्तता प्रदान करने हेतु स्वरचित प्रस्तुतियों द्वारा नये ऊर्जावान कलाकारों के साथ नौटंकी को नवरूप में प्रस्तुत व संरक्षित कर आगे बढ़ाने का अनवरत सफल प्रयास करते आ रहे हैं।
धर्म, आचरण, संस्कार व परम्पराओं को पुर्नजीवित करते हुए अपनी पुरातन संस्कृति विशेषतया 'वसुधैव कुटुम्बकम' के गरिमामय स्वरूप से आधुनिक जगत को परिचित कराते हुए एक वृहद समूह 'सत्य समर्पण ह्यूमैनिटी फाउण्डेशन' सनातन संस्कृति को भारत के जन-मन में पुर्नस्थापित करने न्यास 'अखिल भारतीय संस्कृति महापरिषद' और दैनिक समाचार पत्र, मासिक पत्रिका के प्रकाशन व गैर सरकारी संगठन के रूप में राष्ट्रीय समूह 'सत्य समर्पण' का गठन किया गया। उक्त संगठनों द्वारा दिग्भ्रमित हो रही युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने हेतु आकृष्ट किया। भारतीय संस्कृति, कला-साहित्य, लोक-नाट्य एवं जिस सात्विक स्वरूप की अनुभूति हमारे पूर्वजों ने की थी, उस स्वरूप की हमारे जीवन में सार्थकता को हृदयंगम करना ही हमारा स्वर्णिम स्वप्न है। इस स्वप्न की राष्ट्र व समाज हित में सार्थकता इस बात से ही सिद्ध होती है कि मुझे उ0प्र0 सरकार द्वारा वर्ष 2019 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त नई दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम, नागालैण्ड, मेघालय, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड, चण्डीगढ़ सहित उत्तर प्रदेश के हर जिले में इन कला प्रस्तुतियों को सराहा व सम्मानित किया गया। सनातन संस्कृति को आत्मसात कर पाश्चात्य सभ्यता की ओर बढ़ रहे इस विशाल जनसमूह को अपने सांस्कृतिक मूल्यों व धरोहर के प्रति विश्वास जगाकर भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित करना ही अमित दीक्षित 'रामजी' का परम लक्ष्य है।
पद्मश्री डा० योगेश प्रवीन जी के कथनानुसार - लखनऊ रंग पटल के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी अमित दीक्षित तथा उनकी रंग प्रतिभा को मैं आज से नहीं एक जमाने से जानता हूँ। साधारण से व्यवसायी परिवार के इस नगीने ने अपने को चौक से बाहर वृहद रूप से स्थापित किया। रंग संस्कार इनको विरासत में नहीं बल्कि उनकी अपनी अटूट मेहनत और लगन का परिणाम है। अपने बहुआयामी व्यक्तित्व और विविध रंग विधाओं की प्रस्तुति से एक अति विशिष्ट पहचान बनायी है। किसी जमाने में चौक रामलीला मंच की जीनत बनकर और अवध कुँवर 'श्रीराम' की भूमिका को 14 वर्षों तक जीवन्तता से निभा देने वाले अमित श्रीराम के चरित्र, आदर्श व जीवन मूल्यों को स्वयं आत्मसात कर समाज के लिए प्रेरणास्रोत तथा आज सम्पूर्ण भारत के रंग महोत्सवों की भी एक विशिष्ट पहचान हैं। अमित रंगमंच में गीत व नाट्य लेखन, अभिनय, गायन, नृत्य, संगीत व निर्देशन सभी में समान रूप से अधिकार रखने वाले विरले कला उपासक हैं जो हर कला में पारंगत और अपनी साधना से निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। उत्तर प्रदेश के विलुप्तप्राय लोक-नाट्य 'नौटंकी' को जीवन्त रखने के लिए उस पर विशेष कार्य कर रहे हैं। मैं रंग-नक्षत्र अमित दीक्षित के स्वर्णिम भविष्य को उन बुलन्दियों पर देख रहा हूँ जो उनकी लगन, मेहनत व अथक तपस्या का फल है। इनकी संस्कारयुक्त अद्भुत प्रतिभा सम्पूर्ण विश्व में कीर्तिमान स्थापित कर रही है।
अभिनय
लेखक
निर्देशक
संगीत निर्देशन
गायन
नृत्य
भारत के कोने-कोने में 3000 से अधिक मंच प्रस्तुतियों के साथ, अमित दीक्षित ने भारतीय रंगमंच की दुनिया में अपनी एक विशिष्ट और अनुकरणीय पहचान बनाई है। उनके अभिनय में जो समर्पण, बहुमुखी प्रतिभा और मंच पर अद्वितीय उपस्थिति देखने को मिलती है, वह उन्हें केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि भारतीय प्रदर्शन कलाओं के प्रमुख स्तंभों में से एक बनाती है।
अमित दीक्षित के लिए मंच केवल अभिनय करने की जगह नहीं, बल्कि एक पवित्र साधना स्थल है—जहाँ भावनाएँ, अभिव्यक्ति और रचनात्मकता एक साथ समाहित होती हैं। हर प्रस्तुति में वे अपने पात्रों में इस कदर समा जाते हैं कि दर्शक उन्हें केवल देख नहीं पाते, बल्कि अनुभव करते हैं। उनकी प्रस्तुतियाँ भाषा, संस्कृति और क्षेत्रीय सीमाओं से परे जाकर दर्शकों से एक गहरा भावनात्मक संबंध स्थापित करती हैं।
उनका अभिनय न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि सामाजिक चेतना को जागृत करने, जनमानस में विचारों का बीजारोपण करने और सकारात्मक परिवर्तन लाने का सशक्त माध्यम भी है। अमित दीक्षित की प्रस्तुतियाँ रंगमंच की उस वास्तविक आत्मा को जीवंत करती हैं, जो समाज का दर्पण बनकर उसे उसकी अच्छाईयों, कमियों और संभावनाओं से अवगत कराती है।
भारतीय रंगमंच की परंपरा सदियों पुरानी और अत्यंत समृद्ध रही है। यह केवल एक कलात्मक विधा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने का सशक्त माध्यम भी है। लोकनाट्य, शास्त्रीय रंगकला, आधुनिक प्रयोगात्मक नाट्य—हर शैली में अमित दीक्षित की गहरी समझ और निपुणता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
कला समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह केवल मनोरंजन नहीं करती, बल्कि शिक्षित करती है, चेतना का संचार करती है, और समाज को एक साझा मानवीय अनुभव से जोड़ती है। अमित दीक्षित का सफर इस बात का जीवंत प्रमाण है कि जब कोई कलाकार पूरी निष्ठा, समर्पण और जुनून के साथ अपनी कला के प्रति प्रतिबद्ध होता है, तो वह ना केवल अपने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ता है, बल्कि समूचे सांस्कृतिक परिदृश्य को भी समृद्ध करता है।
आज जब रंगमंच कई चुनौतियों का सामना कर रहा है—डिजिटल युग की गति, व्यावसायिक सीमाएँ, और युवाओं का पलायन—ऐसे समय में अमित दीक्षित जैसे कलाकारों की उपस्थिति एक आशा की किरण है। वे न केवल स्वयं लगातार मंच पर सक्रिय हैं, बल्कि युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर, उन्हें मंच के प्रति प्रेरित कर, भारतीय रंगमंच की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
उनका योगदान केवल एक कलाकार के रूप में नहीं, बल्कि एक संरक्षक, शिक्षक और प्रेरणा स्रोत के रूप में भी महत्वपूर्ण है। वे नवाचार को अपनाते हुए पारंपरिक मूल्यों की गरिमा बनाए रखने में विश्वास रखते हैं—यही संतुलन उन्हें विशिष्ट बनाता है।
अमित दीक्षित की यात्रा भारतीय रंगमंच के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज है। उनकी प्रतिभा, संवेदनशीलता और सामाजिक दृष्टिकोण उन्हें एक समर्पित रंगकर्मी से बढ़कर एक सांस्कृतिक धरोहर का संवाहक बनाते हैं। जब भी वह मंच पर उतरते हैं, एक नई कहानी जन्म लेती है—जो केवल देखने की नहीं, महसूस करने की होती है।
Mr. Amit Dixit's dedication to cultural preservation and community enrichment is truly commendable. His tireless work in organizing and supporting folk and theatrical events reflects a rare passion and a deep-rooted respect for our traditions. Individuals like him keep the flame of Indian cultural heritage alive. It has always been a pleasure to witness his commitment in action.
Amit Dixit stands out as a vibrant force in the cultural and artistic landscape. His vision, sincerity, and organizational excellence continue to create impactful platforms for artists and performers. His contributions ensure that talent is nurtured and Indian art forms get the recognition they truly deserve. I hold great regard for his work.
Working alongside Mr. Amit Dixit has been both an honor and an inspiration. His unwavering support for traditional performance arts and his ability to bring communities together through culture are unmatched. He is not just an organizer, but a true patron of art and artists. His presence is vital to the revival of many lost art forms.